आशा दीदी:बारिश हो या ओले, कभी नहीं रुकतीं, कोरोना में भी नाचती मौत के बीच किया काम, चाहती हैं सेफ्टी, सम्मान और सैलरी

आशा वर्कर्स बोलीं-'दिन रात काम कर महीने के 3 हजार भी नहीं मिलते, सुनने वाला कोई नहीं,पंजाब-हरियाणा में इन दिनों अपनी मांगों को लेकर सड़कों पर उतरने को मजबूर हैं आशा वर्कर्स, अभी मामूली मानदेय

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