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लाइफस्टाइल डेस्क. नि: संतानता की समस्या को झेल रही निशा शादी के आठ वर्ष के बाद भी मां नहीं बन सकी। उसे स्वास्थ्य संबंधी कोई दिक्कत नहीं थी लेकिन हर माह आते पीरियड्स उसे उदास कर जाते। परिवार के लोग बार-बार पूछते कि निशा कोई गुड न्यूज। इस पर निशा निराश मन से ना करती और स्वयं से सवाल करती कि आखिर मैं गर्भधारण क्यों नहीं कर पा रही हूं। इस पर उसने प्रसूतिरोग विशेषज्ञ से संपर्क किया तो पता चला कि 36 साल की निशा के सभी टेस्ट रिजल्ट तो नॉर्मल थे, लेकिन उनके 34 साल के पति का स्पर्म काउंट बेहद कम था। यह कहानी निशा जैसी उन सभी महिलाओं की है, जो कहीं न कहीं नि:संतानता का दर्द झेल रही हैं। जांच में कभी कमी उनके सामने आती है तो कभी उनके पति में।
देश में शादीशुदा दंपतियों की फर्टिलिटी दर तेजी से घट रही है। अर्नस्ट एंड यंग की 2015 की एक स्टडी के मुताबिक, भारत में 10 से 15 प्रतिशत यानी करीब 2 करोड़ 30 लाख शादीशुदा जोड़े इंफर्टिलिटी यानी नि:संतानता के शिकार हैं। बच्चा पैदा न होने के मामले में समाज हमेशा से ही महिला को दोषी मानता आया है लेकिन हकीकत यह है कि इंफर्टिलिटी के 40 प्रतिशत मामलों में समस्या पुरुषों में होती है, जबकि 40 प्रतिशत मामलों में महिलाओं में दिक्कत होती है। बाकी बचे 20 प्रतिशत मामलों में दोनों में ही कोई दिक्कत होती है या फिर कोई दूसरा कारण भी हो सकता है।
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